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श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन भक्तों का सैलाब उमड़ा

गौरव ग्राम पंचायत, सिवनी नैला में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालुओं का भारी उत्साह देखने को मिला। प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य प्रवीण मिश्रा ने भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और महाभारत के गूढ़ प्रसंगों का मार्मिक और सरल शब्दों में वर्णन कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। परीक्षित जन्म और शुकदेव आगमन: कथा में राजा परीक्षित के जन्म और उनके जीवन के महान कार्यों का विस्तृत वर्णन किया गया। साथ ही, श्री शुकदेव जी के आगमन की कथा ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद में डुबो दिया। आचार्य जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि ईश्वर की भक्ति ही मोक्ष प्राप्ति का एकमात्र साधन है। उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण के श्रवण को मानव जीवन को सार्थक बनाने वाला बताया। कथा स्थल को दीपों और झांकियों से सजाया गया, जो श्रद्धालुओं को एक अलौकिक अनुभव प्रदान कर रहा है। आयोजन के मुख्य यजमान रामनारायण वस्त्रकार और सुनीता वस्त्रकार ने इस धार्मिक अनुष्ठान को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई है। आचार्य प्रवीण मिश्रा ने कथा के माध्यम से समाज में आध्यात्मिकता और सामाजिक समरसता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति विश्वभर में अपनी महत्ता के लिए जानी जाती है और यह आयोजन हमारी परंपराओं को जीवंत रखने का प्रयास है। श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन सनत कुमारों की कथा सुनाई गई, जिसने श्रद्धालुओं को ज्ञान और भक्ति का संदेश दिया। आचार्य प्रवीण मिश्रा जी ने सनत कुमारों की तपस्या, वैराग्य और ब्रह्मज्ञान को सरल और भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया। सनत कुमार (सनक, सनंदन, सनातन, और सनत) भगवान ब्रह्मा की मानस संतान हैं। जन्म से ही वे संसारिक मोह-माया से दूर वैराग्य का प्रतीक माने गए। उन्होंने सृष्टि कार्य में भाग लेने के बजाय भगवान विष्णु की भक्ति को अपनाया। कथा में बताया गया कि जब सनत कुमार वैकुंठ पहुंचे, तो जय-विजय ने उन्हें रोका। इस पर सनत कुमारों ने उन्हें धरती पर असुर रूप में जन्म लेने का श्राप दिया, जिससे भगवान विष्णु की लीलाएं प्रकट हुईं सनत कुमारों ने ब्रह्मज्ञान और भक्ति का प्रसार किया। नारद मुनि को ज्ञानदान देने की कथा ने श्रोताओं को आत्मा के उद्दीपन और मोक्ष के महत्व का संदेश दिया। आचार्य जी ने कहा कि सनत कुमारों की कथा वैराग्य, तपस्या और भक्ति का आदर्श प्रस्तुत करती है। यह कथा दर्शाती है कि ईश्वर भक्ति और ज्ञान ही जीवन का वास्तविक लक्ष्य हैं।आयोजन के आगामी दिनों में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और अन्य गूढ़ प्रसंगों का वर्णन किया जाएगा।

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