नई दिल्ली

दिल्ली विधानसभा चुनाव : विज्ञापनों से लेकर पोस्ट तक…सोशल मीडिया पर EC की पैनी नजर, ये गलतियाें पर होगा एक्शन

नई दिल्ली दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दलों की सोशल मीडिया पर गतिविधि पर चुनाव आयोग की कड़ी नजर है। सोशल मीडिया पर दिए जा रहे विज्ञापनों और हरेक पोस्ट की निगरानी करने की जिम्मेदारी आयोग ने दिल्ली चुनाव कार्यालय को सौंपी है। सोशल मीडिया पर दलों व उनके प्रत्याशियों के भारी- खर्च, आपत्तिजनक पोस्ट और मेनिफेस्टो से इतर दावों पर तत्काल एक्शन लिया जाएगा। राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया में प्रचार के प्रमुख साधन के रूप में अपनाने के चलते एक दशक पहले लोकसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग ने दिशा निर्देश तय किए थे। इन दिशा निर्देशों के आधार पर दिल्ली चुनाव कार्यालय राजधानी में होने वाले चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के सोशल मीडिया प्रचार और खर्च पर भी निगरानी रखेगा। निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशों के तहत फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, यूट्यूब, इन्स्टाग्राम, स्नेपचैट आदि जैसी वेबसाइट्स को सोशल मीडिया की संज्ञा दी गई है।सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए तय किए गए थे और बढ़ते प्रभाव के चलते ही आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के ज़रिये सोशल मीडिया पर पोस्ट की जाने वाली सामग्री को चुनाव आचार संहिता के दायरे में लाने का फैसला 2014 के आम चुनाव के दौरान किया था। तब चुनाव आयोग का कहना था कि चुनाव में पारदर्शिता और बराबरी के अवसर बनाए रखने के लिये सोशल मीडिया पर नियंत्रण की जरूरत है। चुनाव आयोग का यह भी कहना था कि सोशल मीडिया पर चुनाव कानूनों का निश्चित रूप से उल्लंघन होता है। चुनाव आयोग के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्याशियों को नामांकन दाखिल करते समय दिये जाने वाले हलफनामे में अपनी ई-मेल ID और अन्य अधिकृत सोशल मीडिया एकाउंट्स की जानकारी देनी होगी। किसी भी इंटरनेट आधारित माध्यम पर राजनीतिक विज्ञापन देने से पहले चुनाव आयोग द्वारा तय अधिकारी से मंजूरी लेनी होगी। राजनीतिक दल और उम्मीदवार अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स से असत्यापित विज्ञापन, रक्षाकर्मियों की तस्वीरें, नफरत भरे भाषण व झूठी खबरें पोस्ट नहीं कर सकेंगे।

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