नई दिल्ली

15 साल से अधिक पुराने वाहनों को पेट्रोल और 10 साल से ज्यादा पुराने वाहनों को डीजल नहीं मिलेगा

 दिल्ली एनसीआर में लागू होगा नया नियम

नईदिल्ली । दिल्ली एनसीआर  क्षेत्र में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सख्त कदम उठाया जा रहा है। इसके तहत दिल्ली परिवहन विभाग निर्धारित से अधिक पुराने वाहनों के लिए पेट्रोल पंप से ईंधन देने पर प्रतिबंध लागू करने जा रहा है। यह नियम 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों और 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों पर लागू होगा। यह पहल वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा निर्देशित है। यह नियम दिल्ली एनसीआर के 19 जिलों में लागू होगा और शुरुआत दिल्ली के अलावा 5 जिलों से होगी। इसके तहत 1 नवंबर से गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और सोनीपत में पुराने वाहनों के लिए ईंधन नहीं मिलेगा। अगले साल 1 अप्रैल से यह प्रतिबंध बाकी जिलों में भी लागू होगा। इनमें हरियाणा के 11, उत्तर प्रदेश के 6 और राजस्थान के 2 जिले शामिल हैं। सीएक्यूएम ने इन राज्यों के मुख्य सचिवों को आदेश जारी कर दिया है। इस प्रतिबंध को लागू करने के लिए परिवहन विभाग ने दिल्ली के 500 में से 485 फ्यूल स्टेशन पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट पहचान कैमरे लगाए हैं। इन कैमरों को एमपरिवहन डाटाबेस के साथ एकीकृत किया गया है ताकि, निर्धारित सीमा से अधिक आयु के वाहनों की पहचान की जा सके। एक बार चिह्नित होने के बाद फ्यूल पंप संचालकों को ऐसे वाहनों को ईंधन देने से मना करने के लिए अलर्ट प्राप्त होंगे। विभिन्न अध्ययनों के मुताबिक, दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों से निकलने वाले धुएं की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत या इससे अधिक हो सकती है। जानकारों की मानें तो आम वाहनों की तुलना में समयावधि पूरा कर चुके वाहनों से ज्यादा प्रदूषण होता है। इस कारण उम्र पूरी कर चुके वाहनों के संचालन पर रोकथाम जरूरी है। दिल्ली एनसीआर में डीजल वाहनों के लिए उम्र पूरी के लिए 10 साल और पेट्रोल वाहनों के लिए 15 साल की समयावधि निर्धारित की है। ईंधन प्रतिबंधों के अलावा सीएक्यूएम ने घोषणा की है कि 1 नवंबर से केवल बीएस-6 अनुपालन, सीएनजी, एलएनजी और दिल्ली में पंजीकृत इलेक्ट्रिक कमर्शियल वाहनों को ही राजधानी में प्रवेश की अनुमति होगी।
आवश्यक सामान ले जाने वाले गैर- बीएस -4 परिवहन वाहनों को 31 अक्टूबर, 2026 तक अस्थायी रूप से अनुमति दी जाएगी। ये उपाय वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने और वायु गुणवत्ता में सुधार करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं।

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