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सफरीभाठा में चल रही नौ दिवसीय श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन की कथा व्यास आचार्य पंडित डाँ. तिवारी

सफरीभाठा में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण का आयोजन महामाया प्रांगण में धर्मेंद्र रजक एवं उनके परिवार के द्वारा किया जा रहा है जिसके प्रवक्ता पंडित डॉक्टर रूपेंद्र कुमार तिवारी रहंगी वाले हैं उन्होंने कहा कि मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास आचार्य पं. तिवारी ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र (सखा) से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं।

इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है।

अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगायालिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए ओर उनका अभिनंदन किया।

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