सूर्य स्तंभ स्थापना महोत्सव के तहत भीमा तालाब में ध्वज आरोहण 06 अगस्त को
नगर पालिका अध्यक्ष सहित समाज के पदाधिकारियों एवं ग्रामीण जन होंगे शामिल

सूर्य स्तंभ स्थापना महोत्सव के तहत भीमा तालाब में ध्वज आरोहण 06 अगस्त को
नगर पालिका अध्यक्ष सहित समाज के पदाधिकारियों एवं ग्रामीण जन होंगे शामिल
जांजगीर चाम्पा। रिपोर्ट कृष्णा टण्डन। जाजवल्य देव के पावन नगरी जिला मुख्यालय जांजगीर में सूर्यवंशी समाज के द्वारा “सूर्य स्तंभ स्थापना महोत्सव” के अंतर्गत ऐतिहासिक “भीमा तालाब” में स्थित सूर्य स्तंभ पर ध्वज आरोहण 06 अगस्त, मंगलवार को दोपहर 01 बजे किया जाएगा जिसमें जिसमें नगर पालिका अध्यक्ष भगवान दास गढ़वाल, सूर्यवंशी समाज के अध्यक्ष संजय गढ़ेवाल सहित पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मोतीलाल डहरिया, रमेश पैगवार, मालती वेदराम रात्रे सहित समाज के पदाधिकारी एवं गणमान्य नागरिक सहभागिता करेंगे। भीमा तालाब स्थित विष्णु मंदिर के पास आयोजित इस कार्यक्रम के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी किया जा रहा है जिसमें नगर पालिका परिषद जांजगीर-नैला के अलावा समाज के हजारों सदस्य सहभागिता करेंगे।
“सूर्य स्तंभ स्थापना महोत्सव आयोजन समिति”
के अध्यक्ष मिलन लदेर के मार्गदर्शन में महासचिव हरदेव टंडन, उपाध्यक्ष पूरनलाल सूर्यवंशी व सागर मोगरा, कोषाध्यक्ष संतोष गढ़वाल, उपकोषाध्यक्ष गोलू गढ़वाल, सह सचिव अशोक चौरसिया सहित आयोजन में गणेश गुजराल, सोहन डहरिया, फिरत किरण, सुखराम गरेवाल, सनद डहरिया, भागवत सूर्या, अमृत लाल लाठिया, अनिल चौरसिया, कन्हैया सूर्यवंशी, रमेश सूर्यवंशी, प्रशांत सूर्यवंशी, हीरालाल सूर्यवंशी, राधे चौरसिया, लच्छी लदेर, सुमन सोनवान, अमरनाथ बर्मन, सोहित वैद्यराज, जवाहर लदेर, रामू गढ़वाल एवं धनीराम सिंगसर्वा सहित आयोजन समिति के सदस्यों का महत्व सहयोग प्राप्त हो रहा है। उक्ताशय की जानकारी देते हुए प्रो. गोवर्धन सूर्यवंशी ने बताया कि 1935 को काष्ठ निर्मित सूर्य स्तंभ स्थापित किया गया था जिसका जीर्णोद्धार 1962 में किया गया है तब से प्रत्येक वर्ष “सूर्य स्तंभ स्थापना महोत्सव” 6 अगस्त को मनाया जाता है। सूर्यांश धाम खोखरा में 1927 को आयोजित महासभा के बाद जांजगीर के भीमा तालाब में सूर्य स्तंभ की स्थापना 1935 में किया गया था। इसके बाद रतनपुर में एक विशाल विष्णु एवं पर्वत दान यज्ञ का आयोजन भी किया गया था जिसके द्वारा आजादी से पूर्व के समय सूर्यवंशी समाज द्वारा जरूरतमंदों को भोजन के लिए अन्य खाद्य पदार्थ जैसे धान चावल सहित अन्य सामग्रियों का पर्वत बनाकर दान के किया गया था।