उदारता, न्यायप्रियता और दानवीरता के प्रतिमूर्ति हैं गुरु मालिक राम देव जी,,

“उदारता, न्यायप्रियता और दानवीरता के प्रतिमूर्ति हैं गुरु मालिक राम देव जी”
जांजगीर चाम्पा। संपादक – कृष्णा टण्डन। समाज के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर सूर्यवंशी समाज का उत्थान करने वाले संत, दानवीर, न्यायप्रिय और उदारता के पर्याय गुरु मालिकराम देव का आज 150 वीं जयंती है। सूर्यवंशी समाज के युग पुरुष मालिकराम देव जी का जन्म 18 जून 1875 को जांजगीर जिला के बम्हनीडीह विकासखण्ड के ग्राम मोहगांव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री सरधा राम जी और माताजी का नाम श्रीमती मलाइन देवी था। गुरु मालिकराम देव जी चार भाइयों में सबसे बड़े थे। आपके बाद के तीन भाईयों का नाम है श्री साहेब लाल जी, जनकराम जी और सालिक राम जी। मूल नक्षत्र में जन्मे घुटने तक लम्बे हाथ वाले गुरु मालिकराम देव जी विलक्षण प्रतिमा के धनी व्यक्ति थे। उनका जन्म समृद्ध परिवार में हुआ था। पूरे क्षेत्र में गुरु मालिकराम देव जी अपनी उदारता, न्यायप्रियता और तर्कसंगत वार्तालाप के लिए मशहूर थे। आप को सूर्यवंशी समाज के अतिरिक्त अन्य समाज में भी न्याय पंचायती के लिये आदरपूर्वक बुलाया जाता था।
पारिवारिक स्थिति:
गुरु मालिकराम देव जी की पारिवारिक स्थिति बहुत ही मजबूत थी। उनके पिता श्री सरधा राम जी गांव के सबसे धनवान और गौंटिया व्यक्ति थे जिनके पास 100 एकड़ से अधिक जमीन एवं अनेक तालाबों का स्वामित्व सहित धनधान्य से परिपूर्ण परिजन एवं सम्पन्न परिवार था। हृष्ट पुष्ट कदकाठी और गौर वर्ण होने के कारण उनके पिताजी को “गोरिया गौंटिया” और चाचा दुलारसाय जी के साँवले होने के कारण “करिया गौंटिया” के नाम से प्रसिद्धि थी। मालिक राम जी के दादा जी का नाम मनोहर जी था जिनके नाम पर ‘मनोहरबंध’ तालाब है जिससे संपूर्ण गांव का निस्तारी होता है। मालिक राम जी के धर्म पत्नी का नाम श्रीमती मुटाना देवी और जिनका मायका ग्राम हरदी (हरि) था। माताजी श्रीमती मलाइन देवी धार्मिक प्रवृत्ति एवं पतिपरायण महिला थी जिनके व्यक्तित्व का प्रभाव गुरु मालिकराम देव जी पर परिलक्षित होता है।
सामाजिक कार्यों में सहभागिता:
गुरु मालिकराम देव जी राजा जैसे ठाठ बाट वाले विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे। गुरु मालिकराम देव जी को घुड़सवारी करना पसंद था। वे किसी भी कार्य के लिए गाँव के बाहर अपने घोड़े में बैठकर जाते थे। आपमें राजाओं जैसी वीरता, चातुर्यता और दानवीरता का गुण विद्यमान था। आप जब शिवरीनारायण मंदिर में दर्शन करने गए थे तो अपार धनराशि एवं धन धान्य के साथ दो घोड़ा भी दान दिये थे। धार्मिक प्रवृत्ति के साथ आप सामाजिक गुणों से परिपूर्ण एक कुशल नेतृत्व कर्ता जननायक थे। स्वतंत्रता संग्राम और विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से जागरूकता के लिए संघर्षरत भारतीयों के कार्यों से युवा मालिक राम भी बहुत प्रभावित हुए। उनकी सामाजिक प्रतिभा उस समय उभर का सामने आई जब सूर्यवंशी समाज में सामाजिक परिवर्तन के प्रणेता परम पूज्य गुरुदेव सहसराम जी का सामाजिक उत्थान के तहत चल रहे विभिन्न अभियानों में सहभागिता करने का अवसर प्राप्त हुआ। गुरुदेव सहसराम जी का समाज सुधार का कार्य 1895 से ही प्रारंभ हो गया था। तत्कालीन परिस्थितियों में बदलाव लाने के लिए गुरुदेव सहसराम जी गांव-गांव जाकर शिक्षा और संस्कार देकर आम आदमी को जागरूक कर रहे थे। गुरुदेव सहसराम जी के सामाजिक कार्यों का प्रभाव गुरु मालिकराम देव जी व्यक्तित्व पर भी पड़ा और आपने भी समाज सुधार के इस अभियान में गुरुदेव सहसराम जी का कंधा से कंधा मिलाकर साथ दिया। सामाजिक सुधार के लिए चल रहे विभिन्न अभियानों में आपने बढ़-चढ़ कर सहभागिता किया। इनमें खोखरा में आयोजित विशाल महासभा और बिलासपुर के शनिचरी पड़ाव में आयोजित महासभा के साथ रतनपुर में हुए पर्वत दान यज्ञ में सहभागिता विशेष उल्लेखनीय है।
सामाजिक परिवर्तन के सूत्रधार:
स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व तत्कालीन समाज में व्याप्त सामाजिक विषमताओं और छुआछूत को दूर करने के लिए भी अनेक कार्यों एवं अभियानों का नेतृत्व किया। इसी कड़ी में मोहगांव में आपके मार्गदर्शन में सन् 1927-28 में एक विशाल महासभा का आयोजन किया गया था। इस महासभा में सामाजिक महापुरुष श्री सगेसर जी, लधिया जी, दरबारी जी, पिलनसाय जी, तिरिथराम जी के साथ सामाजिक परिवर्तन के प्रेरणास्रोत गुरुदेव सहसराम देव जी के नेतृत्व में आयोजित हुआ था जिसमें मोहगांव के हर परिवार के मुखिया के साथ युवा और नौजवान भी शामिल थे । उक्त सभा में खोखरा महासभा में सामाजिक उत्थान के लिए गए निर्णयों को क्रियान्वयन का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित गया था जिसे लागू करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया जिसके अनुसार हम सभी मांसाहार का त्याग कर सात्विक भोजन ग्रहण करेंगे। साथ ही समाज में कुछ अवसरों पर प्रचलित मदिरापान का सेवन पूर्णत: प्रतिबंधित होगा। कठिन परिस्थितियों में भी प्रत्येक बच्चों को शिक्षा दिलायेंगे और संत कबीर साहेब के दिखाये गये मार्ग पर चलेंगे। महासभा में उपस्थित सभी सदस्यों को शपथ दिलाया गया जिनकी स्मृति में गुरु मालिकराम देव जी के घर के सामने गली में एक चौरा का निर्माण कराया गया है। वर्तमान में इसे ही भगवान चौरा या शपथ चौरा के नाम से जाना जाता है। यह काम सामाजिक और व्यावहारिक बदलाव के लिये मील का पत्थर साबित हुआ और समाज की एक नई पहचान बनी जिसके लिये गुरु मालिकराम देव जी सदैव याद किये जायेगे।
गुरु मालिकराम देव जी के कार्यों का सामाजिक प्रभाव:
गुरु मालिकराम देव जी इस काम के पश्चात भी आजीवन सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहकर सामाजिक उत्थानों के लिए प्रयासरत रहे। गुरु मालिकराम देव जी ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये अनेकों कार्य किए। अधिक से अधिक लोगों को शिक्षित करने के लिए स्वयं घर में ही पाठशाला का निर्माण कराया और स्वयं के व्यय से शिक्षकों की व्यवस्था किया। उनके वंशज श्री हर प्रसाद जी ने साक्षात्कार में बताया कि अक्षर ज्ञान और व्यवहारिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ‘पीढ़ापाठ’ के माध्यम से वैकल्पिक शिक्षा की व्यवस्था किया। गुरु मालिकराम देव जी के घर से प्राप्त विभिन्न वस्तुओं में एक लकड़ी का तख्ता (ब्लेक बोर्ड) भी प्राप्त हुआ है जिस पर शिक्षा केंद्र में गांव का नाम “महुँगांव” लिखा था। गुरु मालिकराम देव जी जी के द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों के प्रभाव का नतीजा और प्रभाव है कि वर्तमान समय में मोहगांव विगत 15 वर्षों से नशामुक्त गाँव है जहां किसी प्रकार का मादक द्रव्य एवं नशायुक्त सामानों की बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबंध है। यह गांव पूरे समाज के लिए अनुकरणीय है।
सामाजिक सुधारों के अग्रदूत महान समाजसेवी, त्यागी, दयावान और न्यायशील गुरु मालिक राम देव जी 21 जुलाई 1955 को रथयात्रा के दिन अपना कर्मभूमि का त्याग कर स्वर्गवासी हुए। उनके द्वारा किये कार्य समाज के लिए सदैव प्रेरणादायक रहेगा। समाज में शिक्षा और संस्कार का प्रचार कर सही अर्थों में ये समाज को जगाने में ज्योतिबा फुले और माता सावित्रीबाई फुले के कार्यों को आगे बढ़ाने वाले महापुरुष रहे जिन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भी अंतिम समय तक सक्रिय रहे। सामाजिक परिवर्तन के कर्णधार पंच देवों के प्रमुख रहे परम पूज्य गुरु मालिक राम देव जी को उनके त्याग, समर्पण, दानशीलता, न्यायप्रियता और समाज सेवा के लिए समाज कृतज्ञ होकर सदैव स्मरण करता रहेगा। 150 वी जयंती पर परम पूज्य गुरु मालिक राम देव जी को सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए पुष्पांजलि अर्पित करते हैं।
इस स्टोरी परिचय का लेखक राम नारायण प्रधान व्याख्याता भोजपुर चांपा और प्रोफेसर गोवर्धन प्रसाद सूर्यवंशी गौरव ग्राम- अफरीद चांपा ने अपने अथक प्रयास से पूर्ण किया हैं।

