छत्तीसगढ़

पूर्व छात्र पंजीयन अभियान

विद्याभारती ने शिक्षा और संस्कारों को नई ऊंचाई तक ले जाने का संकल्प लिया है। छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में इस अभियान का संचालन होगा और इससे समाज सेवा व राष्ट्रीय एकता की भावना को और अधिक बल मिलेगा।

राष्ट्रीय शिक्षा और संस्कारों की दिशा में एक कदम

विद्याभारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के छत्तीसगढ़ प्रांत इकाई के मार्गदर्शन में 1 जनवरी से 15 जनवरी 2025 तक सरस्वती शिशु मंदिरों के पूर्व छात्रों को संगठित करने और उनके साथ सतत संपर्क बनाए रखने के उद्देश्य से एक विशेष पंजीयन अभियान चलाया जा रहा है।

प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन

इस अभियान की जानकारी चाम्पा सरस्वती शिशु मंदिर चाम्पा में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में दी गई, जिसमें अश्विनी कश्यप (प्राचार्य), कमल लाल देवांगन, डॉ. शांति कुमार सोनी, हनुमान प्रसाद देवांगन, नंद कुमार देवांगन, कृष्ण कुमार पाण्डेय प्रधानाचार्य , और राजेंद्र सिंह ठाकुर ने भाग लिया। वक्ताओं ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य पूर्व छात्रों को एक मंच पर लाना है, ताकि वे समाज और राष्ट्र निर्माण में अपनी प्रभावी भूमिका निभा सकें।

सरस्वती शिशु मंदिर एक शिक्षा और संस्कार का आदर्श मॉडल – अश्विनी कश्यप

सरस्वती शिशु मंदिरों में अपनाई गई शिक्षण पद्धति छात्रों में भारतीय जीवन मूल्यों, राष्ट्रभक्ति, और भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रति गहरी रुचि व संवेदनशीलता उत्पन्न करती है। इन विद्यालयों के भैया-बहिन सामाजिक और नैतिक रूप से सशक्त होते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाते हैं।

पूर्व छात्र प्रकोष्ठ की स्थापना

अभियान के अंतर्गत “पूर्व छात्र प्रकोष्ठ” की स्थापना की जाएगी, जो विद्यालय और पूर्व छात्रों के बीच स्थाई संवाद का माध्यम बनेगा। इसके माध्यम से शोध केंद्रों का विकास, आचार्य कल्याण के लिए योजनाएं,
शैक्षिक व सामाजिक गतिविधियों का विस्तार,और छात्रों के अनुभवों व संसाधनों का उपयोग किया जाएगा।

अभियान की मुख्य विशेषताएं:

पूर्व छात्रों का व्यापक पंजीकरण, समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण के लिए उनका योगदान बढ़ाना, सरस्वती शिशु मंदिरों की गतिविधियों में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना, समाज जीवन में पूर्व छात्रों की भूमिका प्रेस कांफ्रेंस में वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि सरस्वती शिशु मंदिरों के पूर्व छात्र समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं और उनके संगठित प्रयासों से समाज और राष्ट्र के लिए प्रभावी कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा और संस्कारों को बढ़ावा

यह अभियान न केवल पूर्व छात्रों को विद्यालय से जोड़ने की पहल है, बल्कि शिक्षा और संस्कार के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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