मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना कागजों तक सिमटी, ठेका कंपनी की भारी लापरवाही उजागर

कोरबा जिले में मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के तहत संचालित मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। इस योजना का उद्देश्य शहरी स्लम क्षेत्रों के गरीब और जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना था, लेकिन अब यह योजना केवल कागजों में ही चलती नजर आ रही है। नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा संचालन की जिम्मेदारी बव्या हेल्थ सर्विसेज को सौंपी गई है। हालांकि, ठेका कंपनी को योजना के लिए पूरी धनराशि जारी की जा रही है, लेकिन इसके संचालन में लापरवाही और अनियमितताओं की भरमार है।
खराब उपकरण और जांच सामग्री की कमी
पिछले छह महीनों की ऑडिट रिपोर्ट में गंभीर खामियां सामने आई हैं। ठेका कंपनी द्वारा मोबाइल मेडिकल यूनिट में उपयोग होने वाले उपकरणों और आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति समय पर नहीं की गई। कई उपकरण खराब पड़े हैं, लेकिन प्रबंधन उन्हें ठीक करने की जहमत नहीं उठा रहा। जांच सामग्री की भारी कमी के चलते मरीजों को सही समय पर जांच और इलाज नहीं मिल पा रहा है।
दवाइयों की भारी कमी
मोबाइल मेडिकल यूनिट दवाइयों की कमी से जूझ रही है। मरीजों का कहना है कि न तो जांच हो रही है और न ही उन्हें जरूरत की दवाइयां मिल रही हैं। दवाइयों की यह कमी पिछले कई महीनों से बनी हुई है, लेकिन विभागीय अधिकारी इस ओर ध्यान देने में नाकाम साबित हो रहे हैं।
भुगतान जारी, पर सुधार नदारद
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन खामियों और लापरवाहियों के बावजूद ठेका कंपनी को नियमित रूप से भुगतान किया जा रहा है। न तो ठेका कंपनी पर कोई कार्रवाई की जा रही है और न ही इन खामियों को सुधारने की कोशिश हो रही है।
योजना का उद्देश्य विफल
सरकार ने इस योजना से शहरी स्लम क्षेत्रों के गरीब और वंचित लोगों को राहत देने की उम्मीद की थी। लेकिन ठेका कंपनी और प्रशासन की उदासीनता के कारण यह योजना अपने उद्देश्य से कोसों दूर है। जिन लोगों को इससे सबसे ज्यादा लाभ होना चाहिए था, वे अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
प्रशासन की उदासीनता या मिलीभगत?
इस स्थिति ने न केवल ठेका कंपनी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि विभागीय अधिकारियों की निष्क्रियता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या ठेका कंपनी और प्रशासन की मिलीभगत के चलते यह योजना विफल हो रही है?
जरूरत है ठोस कार्रवाई की
अब समय आ गया है कि सरकार और संबंधित विभाग ठेका कंपनी की लापरवाही और अनियमितताओं पर कड़ी कार्रवाई करें। योजना के संचालन में पारदर्शिता और जिम्मेदारी तय करना जरूरी है, ताकि यह योजना उन जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे, जिनके लिए इसे बनाया गया था।