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जांजगीर के साहित्यिकारों ने किया छठवें वार्षिक सजल-महोत्सव मथुरा में सहभागिता,,

सजल महोत्सव में विजय राठौर, रमेश सिंघानिया एवं मयंक मणि का हुआ सम्मान,,

जांजगीर चाम्पा। रिपोर्ट – कृष्णा टण्डन। मथुरा के आर. सी. ए. महिला महाविद्यालय के सभागार में ‘सजल सर्जना समिति’ का छठवां वार्षिकोत्सव का आयोजन 10 नवंबर को किया गया, जिसमें देश भर के सजलकारों के साथ जांजगीर के साहित्यिकारों ने सहभागिता किया। सजल महोत्सव के मुख्य अतिथि राकेश कुमार त्यागी सहायक आयुक्त, नगर निगम मथुरा-वृंदावन थे। विशिष्ट अतिथि के तौर पर राजबहादुर ‘राज’ अपर जिलाधिकारी हाथरस, श्रीमती जया वर्मा, संस्थापक काव्य मंच नोटिंघम यू.के., अनिल अग्रवाल समाजसेवी मथुरा, रमेशचन्द्र मित्तल प्रबंधक आर.सी.ए. महाविद्यालय एवं डॉ. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’ फिरोजाबाद मंचासीन थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सजल सर्जना समिति के अध्यक्ष डॉ. अनिल गहलौत मथुरा ने किया।

छठवें सजल महोत्सव में वरिष्ठ सजलकार विजय राठौर के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ के साहित्यकारों ने सहभागिता किया जिसमें जांजगीर से संतोष कश्यप, हजारी लाल कुर्रे, सुरेश पैगवार, प्रो. गोवर्धन प्रसाद सूर्यवंशी, सरगुजा से डॉ. सपन सिन्हा, बिलासपुर से मयंक मणि दुबे एवं दुर्ग से बलदाऊ राम साहू प्रमुख हैं। वरिष्ठ सजलकार विजय राठौर की सजल संग्रह “लोग चुरा लेते हैं काजल” एवं दिनेश रोहित चतुर्वेदी के सजल संग्रह “समय करवट बदलता है” के साथ ईश्वरी प्रसाद यादव एवं विजय राठौर द्वारा संपादित सजल दशक -06 का विमोचन किया गया जिसमें जांजगीर के अनेक सजलकारों के सजल संकलित है।

महोत्सव के प्रथम सत्र में “सजल विधा के बढ़ते चरण” शीर्षक पर व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसके वक्ता डॉ. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’, डॉ. बी. के. सिंह मैनपुरी एवं डॉ. महेश ‘दिवाकर’ थे। सभी वक्ताओं ने गीति काव्य की नई विधा ‘सजल’ की प्रशंसा करते हुए कहा कि हिंदी की शुद्धता के इस विधा को आगे बढ़ाना आवश्यक है। सभी साहित्यकारों को सजल का प्रचार-प्रसार करना चाहिए। मंचासीन राकेश त्यागी, श्रीमती जया वर्मा, राज बहादुर ‘राज’ और डॉ. शिव ओम ‘अंबर’ ने भी अपने विचार रखे। प्रथम सत्र का संचालन रेखा लोढ़ा ‘स्मित’ तथा इंजी संतोष कुमार सिंह ने किया। इसके बाद सजल के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य के लिए सजलकारों को सम्मानित किया गया जिसमें समाजसेवी अनिल अग्रवाल ने अपनी पिता की स्मृति में सर्वाधिक सजल-संग्रहों के रचयिता छत्तीसगढ़ के साहित्यिक नगरी जांजगीर के विजय राठौर को तथा माता की स्मृति में सर्वाधिक हिंदी-पुस्तकों के रचयिता इंजी. संतोष कुमार सिंह को सम्मानित किया जिसमें शाॅल के साथ 5000 रुपए की सम्मान राशि एवं स्मृति चिह्न भेंट किया। साहित्य प्रेमियों ने अपने परिवारजनों की स्मृति में सजलकारों का सम्मान किया। जांजगीर से नवनिर्मित सक्ती जिला के रमेश सिंघानिया को स्व. मधुसूदन चतुर्वेदी स्मृति सम्मान दिया गया। सजल सर्जना समिति द्वारा बिलासपुर के मयंक मणि दुबे को ‘विशिष्ट सजल-सेवा सम्मान’ प्रदान किए गया। सजल महोत्सव में देश भर के 12 प्रदेशों के लगभग 155 साहित्यकारों और साहित्य प्रेमियों ने सहभागिता किया। द्वितीय सत्र में सजल कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ के कवियों ने भी अपनी-अपनी सजलें प्रस्तुत की। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. बी. के. सिंह ने तथा संचालन डॉ. ब्रज भूषण चतुर्वेदी ‘दीपक’ ने किया। सजल महोत्सव में सहभागिता करने पर शील साहित्य परिषद जांजगीर के साहित्यकारों ने हर्ष व्यक्त किया है जिसमें परिषद के अध्यक्ष विजय दुबे, ईश्वरी प्रसाद यादव, डॉ. बलदेव प्रसाद शर्मा, भैया लाल नागवंशी, सतीष कुमार सिंह, दिनेश शर्मा, हर प्रसाद “निडर”, प्रमोद आदित्य, दयानंद गोपाल, आनंद पांडेय, अमित श्रीवास्तव, महेश राठौर “मलय”, रोशन केशरवानी, उमाकांत टैगोर, गौरव राठौर, मनोज पाण्डेय सहित अन्य साहित्यकार शामिल हैं।

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