कृष्णा इंडस्ट्रीज को मिल रहा पर्यावरण विभाग का मौन संरक्षण – उमा राजेन्द्र राठौर
शिकायत के बाद भी कार्यवाही नहीं उग्र आंदोलन का इंतजार कर रहे अधिकारी,,

शिकायत के बाद भी कार्यवाही नहीं उग्र आंदोलन का इंतजार कर रहे अधिकारी।
जांजगीर चांपा। रिपोर्ट कृष्णा टण्डन। कृष्णा इंडस्ट्रीज की मनमानी इन दिनों चरम सीमा पार कर रही है। रिहायशी इलाके में नियम विरुद्ध संचालित इंडस्ट्रीज के प्रदूषण से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। इसकी शिकायत भी जिला पंचायत सदस्य उमा राजेंद्र राठौर ने पर्यावरण संरक्षण मंडल में किया है लेकिन इंडस्ट्रीज के विरुद्ध कार्यवाही के बजाय उनका उन्हें मौन रूप से संरक्षण मिल रही है। इससे नाराज जनप्रतिनिधियों ने उग्र आंदोलन की मूड में है। वैसे भी सालों से विवादित कृष्णा इंडस्ट्रीज और प्रशासन को ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की कोई बड़ी उग्र आंदोलन का इंतजार कर रहे हैं।
मामला चाम्पा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत सिवनी तथा बहेराडीह की है। जहाँ शासन द्वारा सिवनी गांव के शासकीय भूमि को कृषि प्रयोजन के लिए सिवनी गांव के ही कृषक स्व घासीराम बरेठ को दिया गया था। जिसे पैसे का लालच देकर कृष्णा इंडस्ट्रीज के मालिक ने शासकीय पट्टे की भूमि को खरीदकर आज लाखों रुपए की नियम विरुद्ध फैक्ट्री संचालित कर रही है। जिसके प्रदूषण से गांव के लोग न सिर्फ परेशान हैं बल्कि यहाँ पर काम कर रहे कई मजदूरों की टीबी और सिलिकोसिस नामक खतरनाक जानलेवा बीमारी से मौत हो गई है। फिर भी फैक्ट्री में कई तरह की पत्थरों की पिसाई का काम धड़ल्ले से किया जा रहा है। इंडस्ट्रीज की इस तरह की नियम विरुद्ध काम में प्रशासन का कहीं न कहीं मौन रूप से उन्हें संरक्षण मिल रही है। जिसका विरोध का आवाज दिल्ली स्थित महामहिम राष्ट्रपति भवन तक पहुँच गई है। इंडस्ट्रीज के प्रदूषण के खिलाफ ग्रामीणों की जनहित की इस लड़ाई को मजबूत करने देश का पहला किसान स्कूल बहेराडीह के संचालक दीनदयाल यादव समेत क्षेत्र की जिला पंचायत सदस्य उमा राजेन्द्र राठौर, केंद्रीय श्रमिक संगठन के जिलाध्यक्ष चूड़ामणि राठौर भी समर्थन में उतर आए हैं।
इस संबंध में जिला पंचायत सदस्य उमा राजेंद्र राठौर ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण मंडल बिलासपुर को कृष्णा इंडस्ट्रीज और नारायण इंडस्ट्रीज के खिलाफ 11 विंदुओं पर शिकायत किया गया है। शिकायत करने के माहभर बाद भी इंडस्ट्रीज द्वारा गांव में खुलेआम प्रदूषण फैलाने का काम किया जा रहा है। वही ग्रामीणों द्वारा उक्त इंडस्ट्रीज के विरुद्ध प्रधानमंत्री को किये गए शिकायत दर्ज पर प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली के निर्देश पर भी कार्यवाही नहीं किया जा रहा है। इससे आक्रोशित ग्रामीणों की हस्ताक्षरयुक्त शिकायत दुबारा महामहिम राष्ट्रपति समेत प्रधानमंत्री, छत्तीसगढ़ राज्य के महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कमिश्नर बिलासपुर और स्थानीय जिले के कलेक्टर को डाक द्वारा भेजा गया है। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि जुलाई माह तक यदि गांव से प्रदूषण फैलाने वाले ये दोनों इंडस्ट्रीज नहीं हटाया जाता है तो कलेक्टर परिसर पर आमरण अनशन पर बैठने पर निर्णय लिया गया है।