ग्राम उदयबन्द के आश्रित ग्राम देवरहा में शहर से आकर कर रहे हैं जमीन का अवैध कब्जा आखिर जिम्मेदार कौन,,
रसूखदार व्यक्ति ने ग्राम पंचायत के शासकीय भूमि को भी नहीं छोड़ा,,

ग्राम उदयबन्द के आश्रित ग्राम देवरहा में शहर से आकर कर रहे हैं जमीन का अवैध कब्जा आखिर जिम्मेदार कौन,,
रसूखदार व्यक्ति ने ग्राम पंचायत के शासकीय भूमि को भी नहीं छोड़ा,,
जांजगीर चाम्पा। रिपोर्ट कृष्णा टण्डन। जिले के जांजगीर तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्राम देवरहा की शासकीय भूमि पर इन दिनों धड़ल्ले से अवैध कब्जा हो रहा है। शिकायत है कि भूमाफियाओं के संरक्षण में रातों रात जमीन को कब्जा कर जेसीबी के माध्यम से मिट्टी का बड़ा घेरा करवा दे रहें हैं। एक व्यक्ति दो-चार डिसमिल नहीं, बल्कि एक एकड़ से भी ज्यादा जमीन को मिट्टी की दीवारों से घेर रहे हैं। आरोप है कि इस खेल में न केवल भूमाफिया, बल्कि राजस्व अमला और पंचायत प्रतिनिधि भी शामिल हैं। वैसे तो जांजगीर तहसील क्षेत्र में लंबे अरसे से अतिक्रमण हो रहा है। आम आदमी से लेकर करोड़पति लोगों ने बेशकीमती सरकारी जमीन को घेर कर झोपड़ी, बिल्डिंग, दुकानें, छोटे-छोटे कारखाने बना रखे हैं। कार्यवाही नही होने से शासकीय जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों की होड़ लग गई है। देवरहा में श्रीमती ममता राठौर पति रमेश राठौर ने 44 डिसमिस निजी जमीन को खरीदा लेकिन बेस कीमती जमीन एक एकड़ से भी ज्यादा जमीन को कब्जा कर लिया गया हैं क्षेत्र की जमीन की कीमत में बेतहाशा वृद्धि हो रही हैं। 100 रुपए प्रति वर्ग फीट की जमीन आज पांच हजार रुपये प्रति वर्ग फीट तक पहुंच गई है। जमीन के दाम बढऩे से अतिक्रमण का सिलसिला बढ़ गया हैं। इन लोग शहर से आकर देवरहा में अवैध कब्जा किए हुए जमीन को भी खरीद रहे हैं।
पता चला है कि ग्राम देवरहा में पिछले कई वर्षो में बहुत सारे अधिक जमीन पर अवैध कब्जा हो गया है। इसकी वर्तमान कीमत आज आसमान छू रहा हैं। इसी तरह ग्राम देवरहा में मेन रोड किनारे की एक एकड़ से भी अधिक जमीन पर अतिक्रमण कर घेरा बना लिया गया हैं। इसकी कीमत लाखों रुपये से भी अधिक होने का अनुमान है। यही स्थिति ग्राम देवरहा की है। यहां सड़क के किनारे 1 एकड़ से ज्यादा शासकीय जमीन पर अवैध कब्जा कर मिट्टी का घेरा बना लिए गए हैं। यहां की भी जमीन की कीमत लाखो से भी अधिक पहुंच रही है। लेकिन घेरा करने पर भी कार्रवाई नहीं की जाती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अवैध कब्जा में अमले का भी हाथ होता है।
शैलेन्द्र राठौर पटवारी
का कहना है कि सरपंच से जानकारी लेकर और जांच करके बताता हूँ मुझे इसका कोई जानकारी नही है।