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बतौली महाविद्यालय में हिंदी दिवस पर प्रेमचंद के साहित्य पर केंद्रित विशेष कार्यशाला संपन्न,,

प्रेमचंद के साहित्य पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी का विद्यार्थियों ने किया अवलोकन,,

बी.ए. द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों ने किया “कफन” कहानी के नाट्य रूपांतरण का प्रस्तुतीकरण,,

सरगुजा। ब्यूरो रिपोर्ट। शासकीय महाविद्यालय बतौली (सरगुजा) में हिंदी दिवस पर कार्यशाला का आयोजन 13 सितंबर 2024 को किया गया जिसके मुख्य वक्ता शशि मित्तल रही। अन्य वक्ता के रूप में सोमा गुप्ता एवं उमेश गुप्ता ने व्याख्यान दिया। महाविद्यालय के प्राचार्य बी. आर. भगत ने कार्यशाला की अध्यक्षता किया। कार्यशाला में प्रो. तारा सिंह मरावी, प्रो. गोवर्धन प्रसाद सूर्यवंशी, प्रो. बलराम चंद्राकर, प्रो. श्रीमती सुभागी भगत, प्रो. सुश्री मधुलिका तिग्गा, जिवियन खेस, अतिथि शिक्षक सुश्री शिल्पी एक्का, कृष्ण कुमार के साथ अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के चंद्रभान एवं अनुराग प्रताप विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन थे। कार्यशाला के पूर्व प्रेमचंद के साहित्य पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसमें विद्यार्थियों ने सहभागिता करते हुए प्रेमचंद जी के साहित्य एवं उनके पात्रों के संवादों का अवलोकन किया। कार्यशाला का शुभारंभ छत्तीसगढ़ महतारी एवं सरस्वती पूजन कार्यक्रम के साथ हुआ। बी.ए. द्वितीय वर्ष की विद्यार्थी खुशबू प्रजापति एवं सहेलियों के द्वारा छत्तीसगढ़ का राजकीय गीत एवं होलिका पैकरा एवं सहेलियों द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया गया।

कार्यशाला के प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता शशि मित्तल ने हिंदी दिवस की आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है। हिंदी ने संगीत, सिनेमा, साहित्य और संस्कृतियों के विविध क्षेत्रों के द्वारा संपूर्ण भारत को एक साथ समाहित करने का कार्य किया है। इसके पश्चात अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के प्रशिक्षक चंद्रभान ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि “प्रेमचंद के साहित्य में आम जनजीवन का सजीव चित्रण मिलता है। प्रेमचंद का साहित्य स्वतंत्रता से पूर्व आम आदमी की आवाज और अभिव्यक्ति के रूप में पढ़ा जाता था।” प्रेमचंद के साहित्य पर आधारित “प्रश्नोत्तरी” का आयोजन किया गया जो प्रेमचंद के साहित्य और वर्तमान भारतीय संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों पर केंद्रित था। प्रेमचंद के साहित्य में दिए तत्कालीन परिस्थितियों के आधार पर वर्तमान संवैधानिक मूल्यों पर चर्चा एवं आगे की अध्ययन प्रक्रिया की योजना सहित युवाओं को विविध क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शित भी किया गया। विद्यार्थियों ने उत्साह पूर्वक प्रश्नोत्तरी में सहभागिता करते हुए प्रश्नों का जवाब दिया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रो. गोवर्धन सूर्यवंशी ने कहा कि प्रेमचंद जी ने तत्कालीन स्थितियों का अवलोकन करते हुए “यथार्थोंन्मुखी आदर्शवाद” के आधार पर अपने साहित्य में समस्याओं के चित्रण के साथ उनके समाधान निकालने का प्रयास भी किया था।

द्वितीय सत्र में बी.ए. द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों ने किया “कफन” कहानी के नाट्य रूपांतरण का प्रस्तुतीकरण किया किया जिसमें पूजा नायक ने “घीसू” का और राधा नायक ने “माधव” का अभिनय बहुत ही बेहतरीन ढंग से किया। कफन कहानी का नाट्य रूपांतरण हिंदी विभाग के प्रमुख प्रो. गोवर्धन प्रसाद सूर्यवंशी ने किया था। छात्रों के साथ हुए संवाद में विद्यार्थियों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये। हिंदी साहित्य विकास परिषद की अध्यक्ष गीतांजलि सिंह ने हिंदी दिवस पर अपना विचार रखा। परिषद के सचिव खुशबू प्रजापति ने “पूस की रात” कहानी का सारांश प्रस्तुत किया‌। बी.ए. अंतिम वर्ष की छात्रा होलिका पैकरा ने “दो बैलों की जोड़ी” कहानी का सारांश प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के प्रमुख प्रो. गोवर्धन प्रसाद सूर्यवंशी ने किया। हिंदी दिवस पर “आधुनिक भारत को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधती हिंदी भाषा का महत्व” पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसमें सभी संकायों के विद्यार्थियों ने सहभागिता किया। हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यशाला में हिंदी साहित्य विकास परिषद के विद्यार्थियों के साथ राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महाविद्यालयीन एंबेसडर एवं स्वीप के कैंपस एंबेसडर सहित कला, विज्ञान और वाणिज्य संकाय के विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।

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