राहें मोहब्बत

जिंदगी के मायने यूं ही नहीं बदलते
राहें मोहब्बत में कांटे नहीं कुछ फूल भी हैं खिलते
एक कदम तुम चलो एक कदम हम चलें
जुड़ जायेंगे दिल, मिल जायेंगे मुकद्दर से मोहब्बत वाले
एक कड़ी तुम बनो एक कड़ी हम बनें
दुनिया जिसे ज़हर कहती है वो जाम वफ़ा का है
कोई इसे नशा कहता है कोई जुस्तजू कहता है
कोई मोहब्बत तो कोई खुदा कहता है
तुम दिलबर तो दिलदार हैं हम
एक ग़ज़ल तुम लिखो एक ग़ज़ल हम लिखें
एक कदम तुम चलो एक कदम हम चलें
जाने किसके किस्मत में क्या लिखा है
क्या खोना और क्या पाना है
सुना है सच्ची मोहब्बत में संगम होके रहता है
वक्त भी इम्तहान लेता है
एक फासला तुम रखो एक फासला हम रखें
एक कदम तुम चलो एक कदम हम चलें
उठता है धुंआ जलता है जिगर रह रहकर
मोहब्बत में दर्द और आंसू ही पहले मिलता है
कसूरवार हम नहीं क्योंकि चांद में भी दाग होता है
एक शिकायत तुम करो एक शिकायत हम करें
मिलें गर जिंदगी के किसी मोड़ पर तो हमसफ़र बनकर मिलें
एक फ़रियाद तुम एक फ़रियाद हम करें
एक कदम तुम चलो एक कदम हम चलें ।
✍🏻 डॉ .क्षमा पाटले “अनंत ”
(अंतर्राष्ट्रीय साहित्यकार एवं समाज सेवी) जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़