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माउंट एवरेस्ट पर दो पर्वतारोहियों की मौत, भारतीय समेत दो ने गंवाई जान

काठमांडू  । दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर इस साल मार्च से मई तक चल रहे पर्वतारोहण सीजन के दौरान दो पर्वतारोहियों की मौत की पुष्टि हुई है। नेपाल के पर्वतारोहण अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि मृतकों में एक भारत से और दूसरा फिलीपींस से था। 45 वर्षीय भारतीय पर्वतारोही सुब्रत घोष ने एवरेस्ट के 8,849 मीटर (29,032 फीट) ऊंचे शिखर को सफलतापूर्वक फतह कर लिया था, लेकिन गुरुवार को नीचे उतरते समय हिलेरी स्टेप के पास उनकी मौत हो गई। नेपाल स्थित स्नोई होराइजन ट्रेक्स एंड एक्सपेडिशन कंपनी के आयोजक बोधराज भंडारी ने घटना की जानकारी देते हुए बताया, वह हिलेरी स्टेप से नीचे आने के लिए तैयार नहीं थे। वहीं उनकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि सुब्रत घोष के शव को बेस कैंप तक लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मौत का सही कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। गौरतलब है कि हिलेरी स्टेप 8,000 मीटर (26,250 फीट) से ऊपर के उस बेहद जोखिम भरे इलाके में आता है जिसे ‘डेथ जोनÓ कहा जाता है। इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन का स्तर इतना कम होता है कि मानव शरीर के लिए लंबे समय तक जीवित रहना बेहद मुश्किल होता है। दूसरी ओर, फिलीपींस के 45 वर्षीय पर्वतारोही फिलीप ढ्ढढ्ढ सैंटियागो की मौत बुधवार देर रात साउथ कोल (8,000 मीटर से अधिक) में हुई। नेपाल पर्यटन विभाग के अधिकारी हिमाल गौतम ने बताया कि फिलीप चौथे उच्च शिविर (हाई कैंप) तक पहुंच गए थे, लेकिन अत्यधिक थकान महसूस होने पर वह अपने टेंट में आराम कर रहे थे, तभी उनका निधन हो गया। ये दोनों पर्वतारोही एक ही अंतरराष्ट्रीय अभियान दल का हिस्सा थे, जिसका आयोजन बोधराज भंडारी द्वारा किया गया था। नेपाल ने इस मौजूदा सीजन के लिए कुल 459 पर्वतारोहण परमिट जारी किए हैं। इस हफ्ते अब तक लगभग 100 पर्वतारोही और उनके गाइड सफलतापूर्वक एवरेस्ट शिखर तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं।
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करना एक अत्यंत जोखिम भरा अभियान है। खराब मौसम, ऑक्सीजन की कमी, बर्फीले तूफान और अत्यधिक थकान यहां सबसे बड़े खतरे हैं। गुरुवार को भी अचानक मौसम खराब होने की वजह से कई पर्वतारोहियों को परेशानी का सामना करना पड़ा था। हिमालयन डाटाबेस और पर्वतारोहण अधिकारियों के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 100 वर्षों में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान अब तक कम से कम 345 लोगों की जान जा चुकी है। पर्वतारोहण, ट्रेकिंग और पर्यटन नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए आय और रोजगार के प्रमुख स्रोत हैं।

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