यूरिया खाद की कालाबाज़ारी और न्यूनतम मज़दूरी में लूट से किसान-मज़दूर परेशान, राज्य सरकार को चेतावनी

जांजगीर। जांजगीर-चांपा जिले में किसान और मज़दूर इन दिनों गंभीर संकट से जूझ रहे हैं। यूरिया खाद की भारी किल्लत और निजी विक्रेताओं की मनमानी बिक्री दरों ने खेतीहरों की कमर तोड़ दी है। वहीं, मज़दूरों को राज्य सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मज़दूरी भी ज़मीनी स्तर पर नहीं मिल रही। इन समस्याओं को लेकर इंकलाबी मज़दूर किसान संगठन, छत्तीसगढ़ के बैनर तले किसानों और मज़दूरों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, जिसे राज्य के कृषि मंत्री, श्रम मंत्री और सरकार को संबोधित किया गया। संगठन के कन्वीनर मनहरण, अध्यक्ष मनोज और सचिव जयप्रकाश ने बताया कि छत्तीसगढ़ के अन्नदाता और मज़दूर, जो राज्य की अर्थव्यवस्था और विकास की रीढ़ हैं, आज गहरे संकट में हैं। किसानों के चेहरों से मुस्कान गायब हो चुकी है।
खाद की बोरी पर हो रही लूट
सरकारी रेट पर मिलने वाली यूरिया खाद की कीमत 266 रुपए तय है, लेकिन निजी खाद विक्रेता इसे खुलेआम 900 से 1200 रुपए में बेच रहे हैं। इस तरह किसानों से प्रति बोरी 634 से 934 रुपए तक की सीधी लूट की जा रही है। इतना ही नहीं, एक बोरी खाद लेने के लिए भी किसानों को 25 से 30 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है।
मज़दूरी का हक भी छीना जा रहा है
संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा तय की गई न्यूनतम मज़दूरी 410 रुपए प्रतिदिन भी मज़दूरों तक नहीं पहुँच पा रही है। ज़मीनी स्तर पर मज़दूरों को इसका लाभ नहीं मिल रहा और उन्हें शोषण का शिकार होना पड़ रहा है।
सरकार को चेतावनी
इंकलाबी मज़दूर किसान संगठन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकार किसान और मज़दूरों की परेशानी को हल्के में न ले। यदि समस्याओं का समाधान तुरंत नहीं किया गया, तो किसान-मज़दूर बड़े आंदोलन के लिए सड़क पर उतरेंगे। संगठन ने आगाह किया कि आने वाले समय में राज्य सरकार और उनके मंत्रियों को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ेगा, यहाँ तक कि घर से निकलना भी मुश्किल हो जाएगा। इस मौके पर पुरुषोत्तम दास, सोनू, महावीर, विनोद, किशन, जगदीश, संतोष, कृष्णा और महेश्वर सहित बड़ी संख्या में किसान और मज़दूर मौजूद रहे।