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उद्यानिकी विभाग से मिले योजनाओं के लाभ से लखपति बने बलेसर,,

जांजगीर-चांपा। रिपोर्ट कृष्णा टण्डन उम्र के जिस पड़ाव में लोग घर पर बैठ जाते हैं उस उम्र अपने खेतों में जज्बे के साथ बलेसर काम करते हैं। वह न केवल खेती करते है, बल्कि दूसरों को भी उद्यानिकी फसलों की जानकारी देने से भी पीछे नहीं हटते है। ऐसे ही है जिले के किसान बलेसर जो प्रदेश सरकार की किसान हितैषी योजनाओं का लाभ पाकर खेती को लाभ का व्यवसाय बना रहे हैं। बलेसर अब पारंपरिक खेती के साथ ही उद्यानिकी विभाग की योजनाओं की जानकारी का लाभ लेकर आधुनिक खेती कर रहे हैं।

जांजगीर-चांपा जिले के विकासखण्ड पामगढ़ ग्राम पंचायत झूलन पकरिया के कृषक बलेसर डहरिया है। जो कि अब आधुनिक खेती करके अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। बलेसर ने जब से उद्यानिकी विभाग का हाथ थामा है तब से वह प्रतिवर्ष लाखों रूपए की आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। बलेसर ने उद्यान विभाग के अधिकारी से मिलकर उद्यानिकी फसलों की खेती के साथ-साथ विभाग में संचालित योजनाओं की जानकारी ली। बलेसर ने बताया कि पहले वे पारंपरिक रूप से धान की खेती करते थे, जिसमें उन्हें लागत के अनुपात में मुनाफा प्राप्त नहीं हो रहा था। फिर उन्हें उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा उद्यानिकी फसलों एवं सिंचाई पद्धति के बारे में बताया। उद्यानिकी विभाग से जुड़कर उन्होंने धान की फसल के अलावा टमाटर, बैगन, लाल भाजी, पत्तागोभी, फूलगोभी आदि सब्जियों को अपनी खेतीहर जमीन में लगाना शुरू किया। किसान की मेहनत देखकर उद्यानिकी विभाग की महत्वाकांक्षी योजना से उन्हें वर्ष 2018-19 में नाबार्ड पोषित योजना से 400 मीटर क्षेत्र में शेडनेट में अनुदान दिया गया। इसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुडकर नहीं देखा और उद्यानिकी विभाग के माध्यम उन्हें राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत सब्जी विस्तार अंतर्गत टमाटर एवं लौकी फसल में अनुदान दिया गया और इन सबसे प्रेरित होकर उन्होंने पत्तागोभी, बैगन की खेती शुरू की जिससे अच्छा उत्पादन प्राप्त हुआ। उन्हें उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों विभागीय प्रशिक्षण एवं तकनीकी मार्गदर्शन मिलने से उद्यानिकी की नवीन तकनीकी से खेती शुरू करते हुए कार्य किया। इसके अलावा उन्हें राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से मल्चिंग, पैक हाउस, और राज्य पोषित योजना से सामुदायिक फैसिंग की सुविधा मुहैया कराई गई। उन्होने अपनी खेतों में फसलों के लिए ड्रिप सिस्टम से सिंचाई भी की जिससे उनको खेतों में पानी की कमी नहीं हुई और उच्च गुणवत्ता युक्त फसल उत्पादन होने लगा। फसल में समय-समय पर खाद दवाई डालने के लिए उद्यान विभाग के अधिकारियों द्वारा बारिकी से बताया गया। इससे उनकी उद्यानिकी की फसल सुरक्षित हुई और वे गांव की उन्नतशील किसान की श्रेणी में खड़े हो गए। वह अपनी उद्यानिकी की फसलों को स्थानीय बाजारों में विक्रय करते हैं। जिससे उन्हें सालाना 5 लाख रूपए तक मुनाफा हो जाता है।

बेटी की कराई शादी, खरीदा ट्रेक्टर

बलेसर बताते हैं कि जब से वह उद्यानिकी विभाग की योजनाओं से जुड़कर उन्नतशील किसान बने हैं तब से उनकी जिंदगी में बहुत बदलाव आया है। उन्होंने उद्यानिकी फसलों से हुई आमदनी के पैसो का उपयोग करते हुए बेटी की शादी की है और खेती किसानी को और बेहतर बनाने के लिए एक साल पहले ट्रेक्टर भी खरीदा।

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