रायपुर संभाग

ईडी ने 10 वरिष्ठ आईएएस -आईपीएस अफसरों पर कार्रवाई की सिफारिश की

रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित कोल लेवी घोटाले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)ने अब इस मामले में बड़ा कदम उठाते हुए राज्य सरकार को पत्र लिखकर 10 वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की सिफारिश की है।
ईडी की इस चि_ी के बाद राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है। रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मीडिया से चर्चा करते हुए स्पष्ट रूप से कहा, भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को हमारी सरकार बख्शने वाली नहीं है। कानून अपना काम करेगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
570 करोड़ रुपये का घोटाला, बड़े अफसरों की संलिप्तता
कोल लेवी घोटाला जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच घटित हुआ, जिसमें कोयले के हर टन पर 25 रुपये की अवैध वसूली की गई। इस अवैध वसूली का नेटवर्क इतना संगठित था कि ऑनलाइन परमिट व्यवस्था को जानबूझकर ऑफलाइन किया गया ताकि कोयला परिवहन में अवैध लेवी वसूलना आसान हो सके। घोटाले के पीछे मुख्य भूमिका कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी की मानी जा रही है, जिसे ईडी ने पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड बताया है। बताया जाता है कि जिन व्यापारियों ने कथित तौर पर रिश्वत दी, उन्हें ही खनिज विभाग से परमिट और परिवहन पास जारी किए गए। यह रकम सूर्यकांत तिवारी के कर्मचारियों के माध्यम से इक_ी की जाती थी।
ईडी की अब तक की कार्रवाई
अब तक इस घोटाले में ईडी ने 36 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और एक विस्तृत चार्जशीट भी अदालत में पेश की है। इस मामले में जिन प्रमुख लोगों को जेल की हवा खानी पड़ी, उनमें निलंबित ढ्ढ्रस् अधिकारी समीर बिश्नोई, रानू साहू, पूर्व मुख्यमंत्री की तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया और व्यापारी सूर्यकांत तिवारी शामिल हैं। हालांकि वर्तमान में ये सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं।
सरकार के फैसले पर टिकी निगाहें
ईडी ने मुख्य सचिव और राज्य की आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) को पत्र भेजकर यह मांग की है कि इन 10 वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। हालांकि, नियमों के अनुसार ईओडब्ल्यू को जांच शुरू करने या अभियोजन चलाने के लिए सरकार से अनुमति लेनी होती है। पिछले कई मामलों में सरकार की ओर से इस अनुमति के अभाव में जांच अधर में लटक गई थी। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार ईडी की इस अनुशंसा पर कितनी गंभीरता से और कितनी जल्दी निर्णय लेती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!