नई दिल्ली

भारत सरकार के व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में बढ़ी महिलाओं की भागीदारी

प्रतिशत वृद्धि हुई दर्ज

नई दिल्ली । कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) की स्ट्राइव पहल (द स्किल स्ट्रेंथनिंग फॉर इंडस्ट्रियल वैल्यू एन्हांसमेंट) के तहत वोकेशनल ट्रेनिंग में महिलाओं की भागीदारी 2017-18 में 12 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 20 प्रतिशत हो गई है। एमएसडीई के सचिव अतुल कुमार तिवारी के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य देश भर में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के इकोसिस्टम को मजबूत बनाना है। तिवारी ने कहा, स्ट्राइव के तहत विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आईटीआई की क्षमता बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि इस पहल ने कार्यान्वयन एजेंसियों को आवंटित धन के 92 प्रतिशत से अधिक यूटिलाइजेशन रेट हासिल किया है। स्ट्राइव ने आईटीआई सिस्टम को बेहतर बनाने में योगदान दिया है। इस पहल ने वोकेशनल ट्रेनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाया है और महत्वपूर्ण कमियों को दूर किया है, जिससे छात्रों और हितधारकों के लिए बेहतर परिणाम सामने आए हैं। इस कार्यक्रम में विश्व बैंक के प्रतिनिधियों और भागीदार राज्य सरकारों के अधिकारियों ने भाग लिया। विश्व बैंक द्वारा समर्थित स्ट्राइव परियोजना ने सात साल में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उद्योग भागीदारी को बढ़ावा देकर, परियोजना का उद्देश्य प्रशिक्षण के अवसरों और क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाना है। आईटीआई ट्रेनर्स के लिए कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम को पेश किया गया है ताकि सिखाने के तरीकों के साथ-साथ लर्निंग आउटकम को भी बेहतर किया जा सके। इस पहल ने ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग (ओजेटी) को ट्रैक करने में 35 प्रतिशत कंप्लायंस रेट भी दर्ज की। इसके अलावा, 15 राज्यों ने प्रशिक्षकों की रिक्तियों को सफलतापूर्वक कम किया और नौ राज्यों ने प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) द्वारा तैयार एक मॉडल नीति द्वारा निर्देशित प्रशिक्षकों के लिए करियर प्रगति नीतियां विकसित कीं। तिवारी ने कहा, स्ट्राइव ने भविष्य के लिए कई क्षेत्रों की पहचान की है। हब-एंड-स्पोक मॉडल के माध्यम से इसके पुनरुद्धार के लिए हाल ही में बजट की घोषणा सही दिशा में एक कदम है। मंत्रालय के अनुसार, स्ट्राइव पहल ने भारत के वोकेशनल ट्रेनिंग इकोसिस्टम को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है।

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